Retailer ID – Payment Gateway
पेमेंट गेटवे का उपयोग ग्राहकों से ऑनलाइन पेमेंट प्राप्त करने के लिये किया जाता है।
डिजिटल ज़माने Payment Gateway बहुत उपयोगी सर्विस है। पेमेंट गेटवे के माध्यम से ग्राहकों से पेमेंट स्वीकार कर सकते है। यह ऑनलाइन प्रक्रिया है जिसमे रिटेलर अपने ग्राहकों को पेमेंट लिंक टेक्स्ट मैसेज, ईमेल या व्हाट्सप्प के माध्यम से साझा करते है और पेमेंट प्राप्त करते है। गजब ग्राहक पेमेंट लिंक ओपन करके भुगतान प्रक्रिया पूर्ण करते है, तब पैसा रिटेलर के वॉलेट में जमा हो जाता है।
यह सर्विस ऑनलाइन भुगतान स्वीकारने के लिए एक अच्छा उपाय है, हालाँकि Payment Gateway के माध्यम से भुगतान प्राप्त करने पर MDR (Merchant Discount Rate) लगता है। MDR चार्जेस अलग-अलग पेमेंट विधियों के अनुसार भिन्न होता है। अधिकतम 3% तक MDR चार्ज मर्चेंट/रिटेलर से लिया जाता है।
क्या Retailer या Distributor ID में Payment Gateway आवश्यक है?
इस सवाल का जवाब है, हाँ। इंडिया में या पुरे वर्ल्ड में में कई सारे Payment Gateway सर्विस प्रोवाइडर्स है, और रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया भी आसान है। इस सर्विस को रिटेलर/डिस्ट्रीब्यूटर आईडी में इंटेग्रेट करने से एप्लीकेशन/वेब पोर्टल की usability बढ़ जाती है।
ऑनलाइन पेमेंट कलेक्ट करने की बात हो तो, यह सर्विस बहुत आवश्यक होता है। लेकिन चार्जेस से बचने के लिए इस सर्विस के जगह UPI App इस्तेमाल करना पसंद करते है।
Payment Gateway का उपयोग वॉलेट लोड करने के लिए किया जाता है।
Retailers या Distributors अपने आईडी वॉलेट को लोड करने के लिए पेमेंट गेटवे का उपयोग करते है। इस प्रक्रिया में भी चार्जेस लागू होते है। इन चार्जेस से बचने के लिए प्रत्येक कंपनी के करंट बैंक अकाउंट अकाउंट होते है।
डायरेक्ट कंपनी के बैंक अकाउंट में पैसा ट्रांसफर करके लोड लेने से कोई चार्ज नहीं लगता, लेकिन कुछ कम्पनियाँ इस प्रक्रिया में भी रिटेलर्स/डिस्ट्रीब्यूटर्स से चार्ज वसूलते है। CDM/Counter Deposit प्रक्रिया से भी लोड लेने पर कुछ बैंकों पर चार्जेस लगते है और कुछ बैंकों पर नहीं लगते। प्रत्येक कंपनी के अपने-अपने पॉलिसीज होते है, और उनके पालिसी के अनुसार कीमतें निश्चित किये जाते है।
हमारा सुझाव यही रहेगा की आप बैंक टू बैंक या फिर जिस प्रक्रिया में चार्जेस कम याबिलकुल भी चार्जेस नहीं लगते है, वही प्रक्रिया का उपयोग करें।